गुण संधि एक प्रकार की संधि है जो दो स्वरों के मेल से पैदा होती है. जब दो स्वर एक साथ आते हैं, तो वे अपने गुणों को बदल देते हैं और एक नया स्वर बन जाता है. गुण संधि के नियम अत्यंत सरल हैं.
गुण संधि के नियम निम्नलिखित है:-
1. जब अ या आ + इ या ई मिलते हैं, तो ए बनता है.
- अ + इ = ए
- अ + ई = ए
- आ + इ = ए
- आ + ई = ए
2. जब अ या आ + उ या ऊ मिलते हैं, तो ओ बनता है.
- अ + उ = ओ
- अ + ऊ = ओ
- आ + उ = ओ
- आ + ऊ = ओ
3. जब अ या आ + ऋ मिलते हैं, तो अर् बनता है.
- अ + ऋ = अर्
- आ + ऋ = अर्
हमने गुण संधि के नियमों को जाना. चलिए अब गुण संधि के 100 उदाहरण (Gun Sandhi ke Udaharan) को देखते है और इसे बेहतर तरीके से समझते हैं. साथ ही आप गुण संधि के 100+ उदाहरण के Pdf को प्राप्त करेंगे जो भविष्य में आपके काम आएगी.
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| गुण संधि के 100+ उदाहरण PDF |
गुण संधि के 100+ उदाहरण PDF - Gun Sandhi ke Udaharan
| संधि विच्छेद | संधि शब्द |
|---|---|
| नर + इंद्र | नरेंद्र |
| गज + इंद्र | गजेन्द्र |
| नृप + इंद्र | नृपेंद्र |
| न + इष्ट | नेष्ट |
| न + इति | नेति |
| भारत + इंदु | भारतेंदु |
| अंत्य + इष्टि | अंत्येष्टि |
| उप + इंद्र | उपेन्द्र |
| देव + इंद्र | देवेन्द्र |
| ज्ञान + ईश | ज्ञानेश |
| गण + ईश | गणेश |
| गोप + ईश | गोपेश |
| उप + ईक्षा | उपेक्षा |
| अप + ईक्षा | अपेक्षा |
| जीव + ईश | जीवेश |
| धन + ईश | धनेश |
| प्र + ईक्षा | प्रेक्षा |
| परम + ईश्वर | परमेश्वर |
| प्राण + ईश्वरी | प्राणेश्वरी |
| नर + ईश | नरेश |
| महा + इंद्र | महेंद्र |
| यथा + इच्छा | यथेच्छ |
| महा + ईश | महेश |
| उमा + ईश | उमेश |
| रमा + ईश | रमेश |
| ऋषिका + ईश | ऋषिकेश |
| कमल + ईश् | कमलेश् |
| अलका + ईश् | अलकेश् |
| ग्राम + उत्थान | ग्रामोत्थान |
| आनन्द + उत्सव | आन्दोत्सव |
| ज्ञान + उदय | ज्ञानोदय |
| जल + उदर | जलोदर |
| गर्व + उन्नत | गर्वोन्नत |
| धर्म + उपदेश | धर्मोपदेश |
| महा + ऋषि | महर्षि |
| महा + ऋण | महर्ण |
| देव + ऋषि | देवर्षि |
| उत्तम + ऋण | उतमर्ण |
| परम + ईश्वर | परमेश्वर |
| लोक + ईश | लोकेश |
| अंक + ईक्षण | अंकेक्षण |
| तप + ईश्वर | तपेश्वर |
| हृदय + ईश | हृदयेश |
| प्राण + ईश्वर | प्राणेश्वर |
| भव + ईश | भवेश |
| नाग + ईश | नागेश |
| गज + ईश | गजेश |
| परम + ईश | परमेश |
| विमल + ईश | विमलेश |
| सर्व + ईक्षण | सर्वेक्षण |
| सुर + ईश | सुरेश |
| खग + ईश | खगेश |
| थान + ईश्वर | थानेश्वर |
| अप + ईक्षा | अपेक्षा |
| सर्व + ईश्वर | सर्वेश्वर |
| योग + ईश्वर | योगेश्वर |
| देव + ईश | देवेश |
| एक + ईश्वर | एकेश्वर |
| ब्रज + ईश | ब्रजेश |
| सिद्ध + ईश्वर | सिद्धेश्वर |
| गण + ईश | गणेश |
| प्र + ईरित | प्रेरित |
| कमल + ईश | कमलेश |
| भुवन + ईश | भुवनेश |
| सर्व + ईश | सर्वेश |
| प्र + ईक्षा | प्रेक्षा |
| आनन्द + ईश्वर | आनन्देश्वर |
| धन + ईश | धनेश |
| भुवन + ईश्वर | भुवनेश्वर |
| हृषिक + ईश | हृषिकेश |
| महा + उपदेश | महोपदेश |
| सेवा + उपरांत | सेवोपरांत |
| महा + उत्सव | महोत्सव |
| महा + उपाध्याय | महोपाध्याय |
| गंगा + उदक | गंगोदक |
| विघा + उपार्जन | विघोपार्जन |
| विघा + उन्नति | विघोन्नति |
| रक्षा + उपाय | रक्षोपाय |
| माया + उपजात | मायोपजात |
| यथा + उचित | यथोचित |
| करुणा + उत्पादक | करुणोत्पादक |
| महा + उदधि | महोदधि |
| महा + उदय | महोदय |
| महा + उपदेशक | महोपदेशक |
| परीक्षा + उपरांत | परीक्षोपरांत |
| महा + उघम | महोघम |
| गंगा + उत्सव | गंगोत्सव |
| सप्त + ऋषि | सप्तर्षि |
| शिशिर + ऋतु | शिशिरर्तु |
| ग्रीष्म + ऋतु | ग्रीष्मर्तु |
| सत्य + ऋतु | सत्यर्तु |
| उत्तम + ऋण | उत्तमर्ण |
| देव + ऋषभ | देवर्षभ |
| बसंत + ऋतु | बसंतर्तु |
| शीत + ऋतु | शीतर्तु |
| देव + ऋषि | देवर्षि |
| शरद + ऋतु | शरदर्तु |
| कण्व + ऋषि | कण्वर्षि |
| भरत् + ऋषभ | भरतर्षभ |
| राम + ऋषि | रामर्षि |
| अधम + ऋण | अधमर्ण |
| देव + ऋण | देवर्ण |
| राजन् + ऋषि | राजर्षि |
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आप भाषा की समृद्धि के लिए दीर्घ संधि के 100 उदाहरण और यण संधि के 100+ उदाहरण को देख सकते हैं.. इस लेख को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद...

