भाषा जीवन की रंगीनता और सुंदरता को प्रकट करने का माध्यम होती है, और इसके ध्वनिक घटक बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। स्वर संधि भाषा और व्याकरण के एक महत्वपूर्ण विषय में से एक है, जिसमें वर्णों के मेल से होने वाले परिवर्तन के बारे में है। यह एक रूपी आभूषण है जो शब्दों को सुनने वाले के लिए और भी मनोहर बनाता है। इस लेख में, हम स्वर संधि के 100+ उदाहरणों की ओर बढ़ेंगे, जिनसे आपको इस आश्चर्यमय ध्वनिक परिवर्तन की दुनिया में एक परिपूर्ण परिचय मिलेगा।
स्वर संधि का अर्थ होता है दो स्वर वर्णों के मेल से होने वाले विकार का। जब दो स्वर वर्णों का मेल होता है, तो उनमें कुछ विशेष ध्वनियों का मिलन होता है, जिससे शब्द की उच्चारण में सुंदरता और आकर्षण बढ़ जाता है।
इस लेख में हम विभिन्न प्रकार की स्वर संधि के 100+ उदाहरण (Swar Sandhi ke Udaharan) को समझेंगे. यह लेख उन सभी लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो भाषा के सौंदर्यिक और ध्वनिक पहलुओं को समझने में रुचि रखते हैं, चाहे वो विद्यार्थी हों, शिक्षक हों, या बस भाषा के प्रेमी ही क्यों न हों। तो चलिए, इस यात्रा में हम स्वर संधि के 100+ उदाहरण (Swar Sandhi ke Udaharan) की रहस्यमयी दुनिया को खोजते हैं।
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| स्वर संधि के 100+ उदाहरण PDF |
स्वर संधि के 100+ उदाहरण - Swar Sandhi ke Udaharan
| संधि विच्छेद | संधि शब्द |
|---|---|
| धर्म + अर्थ | धर्मार्थ |
| स्व + अर्थी | स्वार्थी |
| मत + अनुसार | मतानुसार |
| धर्म + अर्थ | धर्मार्थ |
| स्व + अर्थी | स्वार्थी |
| मत + अनुसार | मतानुसार |
| देव + अर्चन | देवार्चन |
| मत + अनुसार | मतानुसार |
| वेद + अंत | वेदांत |
| परम + अर्थ | परमार्थ |
| धर्म + अधर्म | धर्माधर्म |
| देव + आलय | देवालय |
| देव + आगमन | देवागमन |
| नव + आगत | नवागत |
| सत्य + आग्रह | सत्याग्रह |
| गज + आनन | गजानन |
| हिम + आलय | हिमालय |
| शिव + आलय | शिवालय |
| परम + आनंद | परमानंद |
| धर्म + आत्मा | धर्मात्मा |
| रत्न + आकर | रत्नाकर |
| अन्न + अभाव | अन्नाभाव |
| सत्य + अर्थ | सत्यार्थ |
| विद्या + आलय | विद्यालय |
| महा + आनंद | महानंद |
| महा + आत्मा | महात्मा |
| वार्ता + आलाप | वार्तालाप |
| कारा + आवास | कारावास |
| सीमा + अंत | सीमांत |
| रेखा + अंश | रेखांश |
| परीक्षा + अर्थी | परीक्षार्थी |
| दिशा + अंतर | दिशांतर |
| शिक्षा + अर्थी | शिक्षार्थी |
| विद्या + अर्थी | विद्यार्थी |
| दीक्षा + अंत | दीक्षांत |
| यथा + अर्थ | यथार्थ |
| रेखा + अंकित | रेखांकित |
| सेवा + अर्थ | सेवार्थ |
| सती + ईश | सतीश |
| नारी + ईश्वर | नारीश्वर |
| लक्ष्मी + ईश | लक्ष्मीश |
| योगी + इंद्र | योगीन्द्र |
| शची + इंद्र | शचींद्र |
| मही + इंद्र | महींद्र |
| लक्ष्मी + इच्छा | लक्ष्मीच्छा |
| पत्नी + इच्छा | पत्नीच्छा |
| नारी + इंदु | नारीन्दु |
| गिरि + इंद्र | गिरीन्द्र |
| विधु + उदय | विधूदय |
| भानु + उदय | भानूदय |
| गुरु + उपदेश | गुरूपदेश |
| लघु + उत्तर | लघूत्तर |
| सु + उक्ति | सूक्ति |
| अनु + उदित | अनूदित |
| सिंधु + ऊर्मि | सिंधूर्मि |
| साधु + ऊर्जा | साधूर्जा |
| लघु + ऊर्मि | लघूर्मि |
| धातु + ऊष्मा | धातूष्मा |
| साधु + ऊर्जा | साधूर्जा |
| मधु + ऊष्मा | माधूष्मा |
| सिंधु + ऊर्मि | सिंधूर्मि |
| अम्बु + ऊर्मि | अम्बूर्मी |
| मधु + ऊष्मा | माधूष्मा |
| वधू + ऊर्मि | वधू्र्मि |
| सरयू + ऊर्मि | सरयूर्मि |
| भू + ऊष्मा | भूष्मा |
| भू + ऊर्जा | भूर्जा |
| भू + उर्ध्व | भूर्ध्व |
| भू + उत्सर्ग | भूत्सर्ग |
| यदि + अपि | यद्यपि |
| इति + आदि | इत्यादि |
| अति + अधिक | अत्यधिक |
| अति + अंत | अत्यंत |
| रीती + अनुसार | रीत्यनुसार |
| जाति + अभिमान | जात्यभिमान |
| गति + अवरोध | गत्यवरोध |
| इति + अर्थ | इत्यर्थ |
| अति + अल्प | अत्यल्प |
| प्रति + अर्पण | प्रत्यर्पण |
| प्रति + अभिज्ञ | प्रत्यभिज्ञ |
| परि + अवसान | पर्यवसान |
| वि + अर्थ | व्यर्थ |
| प्रति + अंतर | प्रत्यंतर |
| गति + अनुसार | गत्यनुसार |
| अधि + अक्ष | अध्यक्ष |
| अभि + अंतर | अभ्यन्तर |
| अधि + अयन | अध्ययन |
| राशि + अंतरण | राश्यंतरण |
| अभि + अर्थना | अभ्यर्थना |
| वि + अवधान | व्यवधान |
| त्रि + अक्षर | त्र्यक्षर |
| वि + असन | व्यसन |
| अग्नि + अस्त्र | आग्न्यस्त्र |
| बुद्धि + अनुसार | बुद्ध्यनुसार |
| विधि + अर्थ | विध्यर्थ |
| त्रि + अम्बकम् | त्र्यम्बकम् |
| हरि + अंक | हर्यंक |
| परि + अटन | पर्यटन |
| वि + अय | व्यय |
| देवी + अंग | देव्यंग |
| देवी + अर्पण | देव्यर्पण |
| स्त्री + अधिकार | स्त्र्यधिकार |
| नदी + अंबु | नघंबु |
| मही + अर्चन | मह्यर्चन |
| नदी + अर्पण | नघर्पण |
| नदी + अर्चन | नघर्चना |
| सती + अर्पण | सत्यर्पण |
| देवी + अर्पित | देव्यर्पित |
| नदी + अन्त | नघन्त |
| परि + अंक | पर्यंक |
| परि + अवेक्षण | पर्यवेक्षण |
| वि + अंजन | व्यंजन |
| वि + अभिचार | व्यभिचार |
| वि + अवसाय | व्यवसाय |
| अभि + अर्थी | अभ्यर्थी |
| प्रति + अर्पण | प्रत्यर्पण |
| वि + अंग्य | व्यंग्य |
| अधि + अक्षर | अध्यक्षर |
| प्रति + अपकार | प्रत्ययकार |
| संधि विच्छेद | यण संधि |
| द्वि + अर्थी | द्व्यर्थी |
| वि + अक्त | व्यक्त्त |
| आदि + अंत | आघंत |
| ध्वनि + अर्थ | ध्वन्यर्थ |
| स्वस्ति + अयन | स्वस्त्ययन |
| वृद्धि + आदेश | वृध्यादेश |
| इति + अलम् | इत्यलम् |
| यदि + अपि | यघपि |
| नि + अस्त | न्यस्त |
| वि + अग्र | व्यग्र |
| परि + अवेक्षक | पर्यवेक्षक |
| वि + अष्टि | व्यष्टि |
| वि + अवहार | व्यवहार |

